Tuesday, October 20, 2009
Thursday, October 8, 2009
मत इंतज़ार कराओ हमे इतनाकि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जायेक्या पता कल तुम लौटकर आओऔर हम खामोश हो जाएँदूरियों से फर्क पड़ता नहींबात तो दिलों कि नज़दीकियों से होती हैदोस्ती तो कुछ आप जैसो से हैवरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती हैदिल से खेलना हमे आता नहींइसलिये इश्क की बाजी हम हार गएशायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हेंइसलिये मुझे जिंदा ही मार गएमना लूँगा आपको रुठकर तो देखो,जोड़ लूँगा आपको टूटकर तो देखो।नादाँ हूँ पर इतना भी नहीं ,थाम लूँगा आपको छूट कर तो देखो।लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते है,कोई करता है तो इल्जाम देते है।कहते है पत्थर दिल रोया नही करते,और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है।भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है,हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है,बात कहके तो कोई भी समझलेता है,पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है...!मुस्कराना ही ख़ुशी नहीं होती,उम्र बिताना ही ज़िन्दगी नहीं होती,दोस्त को रोज याद करना पड़ता है,क्योकि दोस्त कहना ही दोस्ती नहीं होती
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